डॉक्टरों की विचार गोष्ठी में खुलासा: हर साल देश में एक लाख बच्चे बहरे पैदा होते हैं

भारत मे प्रति वर्ष एक लाख से अधिक बच्चे बेहरे पैदा होते है बेहरेपन का यदि सही समय पर इलाज ना किया जाए तो यह बच्चे गूंगे भी हो जाते है। प्रसव से पहले  गृभ अवस्था में दी  गयी दवाइयां या कई बार बच्चे मे ऑक्सीजन कि कमी के चलते भी बच्चे के सुनने मे विकार आ जाता है। पूरे भारत मे लगभग 63 मिलियन लोग स्वर्ण शक्ति से प्रभावित है। जागरूकता से इन बच्चों क़ो बहरा ओर गूंगा होने से बचा सकता है। एक सुन्दर भविष्य  का निर्माण कर सकती है वर्ल्ड हियरिंग डे के उपलक्ष के रूप में बुधवार को ललिता मेमोरियल हॉस्पिटल, डॉ फॉर सोसाइटी ओर आईएमए रेवाड़ी तथा रेवाड़ी आबीएस गायनी  के तत्वावधान  में वेबिनार का आयोजन किया। वेबिनार में  डॉ पीयूष गुप्ता, वर्ल्ड साउंड के प्रेजिडेंट डॉ अरुण गुप्ता व मुलाना आजाद मेडिकल कॉलेज की डॉ. सुनीला गर्ग तथा शिशु रोग विशेषज्ञ  मुलाना आजाद मेडिकल कॉलेज  के डायरेक्टर व प्रोफेसर, डॉ सीमा  कपूर श्रॉफ हॉस्पिटल के डायरेक्टर व वरिष्ठ  ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ निशि गुप्ता ने इस विषय पर अपनी राय दी। सभी वक्ताओ का कहना था कि समय पर सही जानकारी मिले ओर जागरूक रहे।आज साइंस की तरक्की  के चलते बेहरेपन के चलते गूंगे होने वाले बच्चों कि संख्या मे कमी की जा सकती है। इस कार्यक्रम मे आईएमए प्रधान डॉ पवन गोयल,  डॉ फॉर सोसाइटी प्रधान डॉ घनश्याम मित्तल, ईएनटी वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. कवर सिंह, वरिष्ठ पाल रोग विशेज्ञय डॉ मनीष तनेजा, वरिष्ठ ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ भूषण पटेल ने भी भाग लिया।  कार्यक्रम संयोजक डॉ सीमा मित्तल ने बताया कि डॉ फॉर सोसाइटी समय समय पर ऐसे कार्यक्रम का आयोजन करती है जिससे नागरिकों मे जागरूकता लायी जा सके। वो सभी बीमारियां जिन्हे समय रहते नॉलेज के चलते बचाया जा सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *