प्राइवेट स्कूलों का दावा

  134 ए की सूची में आने वाले बच्चों में अधिकांश संपन्न परिवारों से, हमारे पास पर्याप्त सबूत


रणघोष अपडेट. हरियाणा. रेवाड़ी


नियम 134 ए के तहत प्राइवेट स्कूलों में जरूरतमंद परिवारों के बच्चों के दाखिले को लेकर जारी विवाद अब नए राज खोलते जा रहा है। प्राइवेट स्कूलों में अधिकांश का कहना है कि वे जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को हर तरह की सुविधा देने व पढ़ाने के लिए तैयार है बशर्तें में वह असल में गरीब परिवार से संबंध रखता हो। इन स्कूलों का दावा है कि शिक्षा विभाग की तरफ से चयनित किए गए बच्चों की जो सूची जारी होती हैं उसमें 70 प्रतिशत तो संपन्न परिवारों से संबंध रखते हैं जिसके प्रमाण वे शिक्षा विभाग को देते आ रहे हैं। सरकार एवं अधिकारी चाहे तो कभी भी इसकी जांच करवा सकते हैं। इन स्कूल संचालकों ने साक्ष्य पेश करते हुए कहा कि दिक्कत यह नहीं है कि सरकार इन बच्चों के नाम पर जो राशि हमे देना चाहती हैं उसमें देरी की वजह से हम पीछे हट रहे हैं। असली वजह यह है कि 100 में से 75 बच्चे ऐसे है जिनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि आर्थिक तौर पर मजबूत है। कुछ के अभिभावक तो अपने वाहन से स्कूल में छोड़ने आते हैं। नव ज्योति पीथड़ावास स्कूल ने प्रमाण पेश किए। पहला खोल का जिसके बड़ा प्रोवीजनल स्टोर है, कुंड बैरियर पर चार दुकानें हैं। पोल खुली तो अगले साल 134 ए के तहत दूसरे स्कूल में दाखिला करवा लिया। कुछ बच्चों के माता पिता अपने वाहन से स्कूल छोड़ने आते हैं। बहुत से बच्चे पांच से 10 साल तक स्कूल में फीस जमाकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं अचानक वे 134 ए के दायरे में फ्री एजुकेशन के मापदंड में आ जाते हैं। विरोध करने पर कोर्ट कचहरी तक की नौबत आ जाती है। शिक्षा विभाग ने जिन 40 से ज्यादा स्कूलों की सूची दाखिला नहीं करने पर भेजी हैं उन सभी का दावा है कि उनके पास वे सभी प्रमाण है जिससे यह साबित हो जाएगा कि 134 ए के तहत चयनित होने वाले विद्यार्थियों में अधिकांश गरीब परिवारों से नहीं है। 2 लाख की सालाना इंकम का प्रमाण पत्र ले देकर तैयार करवा लिया जाता है जबकि मौके पर हकीकत कुछ ओर होती है। इस वजह से इसका गलत असर उन विद्यार्थियों पर पड़ता है जो इन बच्चों के पड़ोसी होते हैं और निर्धारित फीस भरते हैं। हरियाणा प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रांतीय प्रधान जवाहरलाल दुहन, जिला अध्यक्ष रामपाल यादव, प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के जिला प्रधान अमित यादव, सहोदया के जिला अध्यक्ष अतुल बतरा समेत सभी संगठनों के पदाधिकारियों ने एक सुर में कहा कि पहले 134 ए के तहत चयनित हुए विद्यार्थियों के आर्थिक पृष्ठभूमि की भी जांच होनी चाहिए। इसमें एसोसिएशन पूरा सहयोग करेगी। अगर ऐसा नहीं होता है तो इस नियम का वजूद ही खत्म हो जाएगा।

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