बुद्ध जयंती के उपलक्ष्य में ऑन लाइन कवि सम्मेलन का आयोजन गूगल मीट पर भूपसिंह भारती के मंच संचालन में किया गया। भगतसिंह बौद्ध द्वारा गयी बुद्ध वंदना से कवि सम्मेलन का आगाज हुआ। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता साहित्यकार, समीक्षक व पूर्व प्राचार्य डॉ शिवताज सिंह ने करते हुए अपनी रचना “अत्तो दीपोभव बनकर मैं जागु और जगाऊँ, महाकरुणाशील की करुणा चारों ओर फैलाऊं” सुनाकर भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को पटल पर प्रस्तुत किया। हैदराबाद से समता साहित्य समिति के प्रधान डॉ धर्मपाल पीहल ने “तू बुद्ध की राह पे चल, सफल होगा तो इसे पाकर। मिट जायेगे दुख सारे, मिलेगा सच्चा सुख सागर” गीत सुनाकर बुद्ध धम्म का संदेश दिया। साहित्यकार भूपसिंह भारती ने हरयाणवी बोल्ली में रागनी “हो हो हो बुद्ध की गाथा गाउँ मैं, भूले भटकों को बुद्ध की राह दिखाऊँ मैं” सुनाकर भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को गाकर सुनाया। रेवाड़ी से गजलकार श्रीभगवान बव्वा ने अपनी गजल “राज सुख में कुछ नहीं है सोच इक दिन जागकर। बुद्ध मन को कीजिएगा ऐश अपने त्याग कर” गाकर खूब तालियां बटोरी। प्राचार्य राजकुमार जलवा और राजपाल दहिया विशेष अतिथि के रूप में पटल से जुड़े। नारनौल से कुंडलिया लेखक रणधीर सिंह धीरू ने अपनी कुंडलिया “पत्थर को पारस किया, ऊंची की पहचान, राजा रंक अधम तिरे, एक अंगुली मान” सुनाकर भगवान बुद्ध को याद किया। कवि रामकिशन मरोडिया ने अपनी रचना “खण्ड खण्ड पाखण्ड हो गया, जय बोलो विज्ञान की, चमत्कार सब बन्द हो गए, आंखें खुल गई ज्ञान की” सुनाकर आज देश मे फैले ढोंग, पाखण्ड ओर अंधविश्वास पर कठोर प्रहार किया। हजरस नारनौल के प्रधान सुरेंद्र अम्बेडकर ने अपनी गजल “बहका रहे हैं देश को, गिनती में चंद है, शासक पुराने, धर्म के बाड़े में बंद है” सुनाकर तालियां बटोरी। डॉ सुशील कुमार शीलू ने अपनी रचना “पर सुनो, जिस स्वर्ग का रास्ता तुम्हारे पागलखाने होकर जाता है, वह स्वर्ग मुबारक हो तुम्हें ही” सुनाकर व्यवस्था पर करारी चोट की। कवि जयसिंह ने अपनी कुंडलिया “प्रथम करूँ बुद्ध वंदना, दूजो भीम प्रणाम, तुमसे सारे सुख मिले, निश दिन तुम्हे सलाम” गाकर अपने श्रद्धा सुमन महात्मा बुद्ध और बाबा साहेब को अर्पित किया। नांगल चौधरी से पप्पू प्रेमी ने अपनी रचना “जागो उठो दलित साथियों कर लो निज उद्धार, देखो फिर क्या होगा” पटल पर सुनाई। कार्यक्रम में प्राचार्य राजकुमार जलवा, रेवाड़ी हजरस के पूर्व प्रधान राजपाल दहिया, नारनौल हजरस के पूर्व प्रधान महेश बहल, ईश्वर सिंह आदि अम्बेडकरवादी साहित्य प्रेमियों ने कवि सम्मेलन में शिरकत की। कार्यक्रम के आयोजक भूपसिंह भारती ने सभी को बुद्ध जयंती की बधाई देते हुए सभी का आभार व्यक्त किया।