रणघोष की सीधी सपाट बात : क्लासरूम में सुसाइड का मतलब स्कूलों का मुर्दा घाट में बदलना..

Pardeep ji logo रणघोष खास. प्रदीप नारायण

हरियाणा के रेवाड़ी में गांव माजरा श्योराज सरकारी स्कूल की छात्रा ने क्लासरूम में फांसी लगाकर शिक्षा के मूल्यों व संस्कारों का असली चरित्र सार्वजनिक कर दिया हे। शुरूआत में  इस घटना की वजह इतिहास की जगह राजनीति शास्त्र का सबजेक्ट नहीं बदलना बताया गया अब आरोपी शिक्षक पर स्कूल की छात्राओं ने भी छेड़छाड़ के गंभीर आरोप लगा दिए। मतलब इस घटना के बाद समझ जाइए स्कूल मुर्दाघाट में तब्दील होने शुरू हो गए हैं। यह घटना शिक्षक- गुरु के पवित्र संबंधों के खोखलेपन का घिनौना व विकृत चेहरा है।  जिसके चलते विद्यार्थी अपने शिक्षकों से खौफ खाते नजर आएंगे ओर उनके हाथों में नजर आने वाली कलम की स्याही डर के मारे सूख जाएगी।  शिक्षा पर पूरी तरह डर का राज हो जाएगा और स्कूल के अंदर बाहर उसी तरह का सन्नाटा पसरा नजर आएगा जैसा श्मश्यान घाट में महसूस होता है। महज एक विषय के नहीं बदलने से  कक्षा 12 वीं की यह छात्रा अपनी जिंदगी को खत्म करने का दुस्साहस कैसे कर सकती है। इस घटना का संपूर्ण सच  पूरी जिम्मेदारी के साथ बिना किसी देरी के साथ सामने आना जरूरी है।  पुलिस प्रशासन, शिक्षा विभाग, स्कूल प्रबंधन व गावं के मौजिज लोगों को मिलकर इस घटना की हकीकत को सामने लाने में एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए। विषय नहीं बदलना ही छात्रा की सुसाइड का असली कारण है तो फिर देश में अलग अलग परीक्षाओं में असफल होने वाले लाखों विद्यार्थियों की जान भी खतरे में हैं। अभी तक फेल होने, कम नंबर आने, माता पिता के डांटने पर सुसाइड करने के मामले डराते रहे हैं। व्यथित छात्रा ने अपने स्कूल में ही अपने आप को मारकर एक तरह से शिक्षा के इतिहास को ही कंलकित  दिया।  यह पूरी तरह से स्वीकार कर लेना चाहिए कि शिक्षण संस्थानों में अब सभी शिक्षक गुरु नहीं रहे। यह भी कटू सत्य है कि सभी विद्यार्थी मौजूदा हालात में शिष्य नहीं बन पा रहे हैं। गुरु- शिक्षक के बीच में अब शिक्षा का बाजार भी अपनी जड़े जमा चुका है जिसमें विद्यार्थी बेहतर इंसान बनने की जगह एक ऐसे प्रोडेक्ट में तब्दील होते जा रहे है जिसकी पैकेज के नाम पर बाजार में बोली लगती है। कमाल की बात यह है कि इसी पैकेज की वैल्यू के आधार पर माता पिता अपने बच्चों का रिश्ता तय करते नजर आते हैं। विद्यार्थी को प्रोडेक्ट में तब्दील करने  के लिए शिक्षक अलग अलग चरित्र और चेहरे में नजर  आ रहे है जिनका टारगेट पढ़ाई के नाम पर उन्हें नंबरों की काल कोठरी में घकेलना है जहां संवेदहीन, मूल्य- संस्कारहीन सोच उन्हें जकड़ लेती है।  ऐसे परिवेश में  छात्रा सुसाइड की इस घटना  को लेकर सभी को धैर्य और संवेदनशील होना बहुत जरूरी है नहीं तो हम शिक्षण संस्थानों से गुरु खो देंगे  और कक्षाओं में शिष्य । रह जाएगा सिर्फ डर….।

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