सीधी सपाट बात : घटना के 25 दिन बाद 21 वर्षीय रितिक की मौत का सच सामने नहीं आया तो पीड़ितों का झलका दर्द..

6 पेज के सुसाइड नोट को फाड़ दे पुलिस, तांत्रिक को सम्मानित करें, रितिक की आत्मा को शांति मिल जाएगी


रणघोष खास. जाटूसाना की माटी से


गांव जाटूसाना के 21 साल के रितिक ने जिंदगी से हताश होने से पहले 6 पेज में अपनी पीड़ा बयां की। कानून के जानकार भी यह मानते हैं कि मरने से पहले कोई झूठ नहीं बोलता। ऐसे बेहिसाब मामले कोर्ट में चल रहे हैं जहां सुसाइड नोट से पुलिस अंजाम तक पहुंचती है। सही मायनों में सुसाइड नोट पुलिस की जांच को सही दिशा देकर चले जाते हैं। कोर्ट के पटल पर यह साबित हो चुका है कि जब कोई भी आदमी इस कदर हताश हो जाए कि उसके पास मरने के अलावा कोई और चारा न बचे, तभी कोई शख्स आत्महत्या करने जैसा कदम उठाता है। ऐसी हालत में यह माना जाता है कि मरने से पहले कोई झूठ नहीं बोलता। सूइसाइडल नोट्स को डाइंग डिक्लेरेशन के काफी नजदीक माना जाता है, लेकिन यह जरूरी है कि उस सूइसाइडल नोट्स में लिखी बातें विश्वसनीय हो। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी यह है कि सूइसाइडल नोट्स की एफएसएल से जांच कराई जाए और यह पता किया जाए कि उसे मरने वाले ने खुद लिखा है। इसके बाद अन्य पूरक साक्ष्य महत्वपूर्ण हैं। रितिक ने मरने से पहले अपनी मौत का जिम्मेदार गुरावड़ा मंदिर के एक तांत्रिक को माना है जिसने उसके साथ गलत काम किया। पुलिस का कहना है कि वह इस घटना में अलग अलग एंगल से काम कर रही है। मसलन वह आत्महत्या है या हत्या। उसने मरने से पहले जहरीले पदार्थ का सेवन भी किया हुआ था और उसके सिर पर चोट के निशान भी थे। वह रितिक की आने वाली एसएफएल रिपोर्ट के आने का इंतजार भी कर रही है। सवाल यह है कि 6 पेज का सुसाइड नोट चीखकर कह रहा हैं कि हमेशा जिंदा दिली से खुश रहने वाला एक युवक तांत्रिक के संपर्क में आने के बाद दो माह के अंतराल में कैसे दुनिया से विदा ले सकता है। ना पढ़ाई को लेकर कोई दिक्कत, ना बेरोजगारी या आर्थिक संकट ना हीं ऐसी कोई वजह। उसका शव 23 मई को भूरियावास की पहाड़ियों में मिला। यहां सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि मृतक के परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने अभी तक तांत्रिक के खिलाफ मामला दर्ज क्यों नहीं किया। प्रथम दृष्टया में पुलिस को अपनी कार्रवाई बढ़ाने में इससे ज्यादा सबूत क्या चाहिए। मृतक के परिजन न्याय चाहते हैं। उनके पास 6 पेज का सुसाइड नोट ही न्याय दिलाने का जरिया है। अगर उसके आधार पर भी पुलिस कुछ नहीं कर रही है तो फिर सच क्या है। क्या रितिक ने मरने से पहले सुसाइड नोट में जो कुछ लिखा है वह पूरी तरह से झूठ था। ऐसा भी नहीं है कि तांत्रिक के साथ उसकी पुरानी जान पहचान हो। वह अपनी नानी की बीमारी के सिलसिले में उससे मिलना हुआ था। उसने पत्र में लिखा है कि  तांत्रिक जिस मंदिर में रहता है वह भंडारे या किसी आयोजन में सेवा करने के लिए जरूर जाने लगा था। एक दिन तांत्रिक विधा, नशीला पदार्थ या जादू टोने से उसके साथ गलत कार्य किया गया। कुछ दिन बाद नशे के प्रभाव का असर खत्म हुआ तो उसके साथ हुई सारी घटनाएं उसके दिलों दिमाग को दिन रात परेशान करने लग गईं। इसके बाद वह जिंदगी से हताश होता चला गया। 6 पेज में रितिक धारा प्रवाह से लिखता जा रहा है। ऐसा लग नहीं रहा कि वह योजना के तहत शब्दों  का चयन कर रहा है। उसके सुसाइड नोट को देखकर यह लगता नहीं कि वह कोई योजना बना रहा है। हैरत की बात यह है कि घटना के 25 दिनों तक पुलिस तांत्रिक से दूध का दूध पानी का पानी का नहीं करवा पाईं।

परिजनों का दावा मृतक ने मरने से पहले दूसरे बाबा को बताई थी आप बीति

रितिक के ताऊ राजकुमार का कहना है कि तांत्रिक ने रितिक की हत्या की है। हमने टैक्सी नंबर की गाड़ी का एक विडियो पुलिस को सौंपा है। रितिक ने मरने से पहले दूसरे बाबा को अपनी आप बीती सुनाई थी। घटना को 25 दिन हो गए। पुलिस एसएफएल रिपोर्ट एवं कॉल डिटेल तक नहीं हासिल नहीं कर पाई है। सुसाइट नोट के आधार पर अभी तक आरोपियों को गिरफ्तार किया जा सकता था। अगर जांच में कुछ ओर निकलता तो धाराएं बदली जा सकती हैं। अमूमन इस तरह के केस में पुलिस ऐसा करती रही है। अगर यह हाईप्रोफाइल केस होता तो अभी तक सबकुछ साफ हो जाता। अगर पुलिस की यहीं कार्रवाई है तो वह सुसाइड नोट को फाड़ दे। तांत्रिक को सम्मानित कर दें। रितिक की आत्मा को शांति मिल जाएगी।

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