सूर्य ग्रहण के दिन गर्भवती महिलाएं रहें सावधान!

भूलवश भी करें 5 गलती, 1 उपाय से दूर होगा अशुभ प्रभाव


इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को लग रहा है. इस दिन बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राहु केतु के कारण सूर्य ग्रहण की स्थिति बनती है और सूर्य देव पर संकट की घड़ी होती है, इस वजह से उस दौरान गर्भवती महिलाओं को अपना ख्याल रखना चाहिए, नहीं तो उस पर और उसके शिशु पर ग्रहण का दुष्प्रभाव हो सकता है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कि सूर्य ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि वे और उनका शिशु सुरक्षित रहें. ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं के लिए क्या उपाय हैं?

सूर्य ग्रहण 2023: गर्भवती महिलाएं इन बातों का रखें ध्यान
1. सूर्य ग्रहण के प्रारंभ से लेकर समापन तक गर्भवती महिलाओं को घर में ही रहना चाहिए. घर से बाहर न जाएं. घर से बाहर जाने पर सूर्य ग्रहण का दुष्प्रभाव उन पर और उनके शिशु पर हो सकता है. कहा जाता है कि ग्रहण की छाया भी बच्चे पर नहीं पड़ने देना चाहिए.

  1. गर्भवती महिलाएं सूर्य ग्रहण को न देखें. इससे बचना चाहिए. सूर्य की किरणों का असर उनकी आंखों पर हो सकता है.
  2. ग्रहण के समय में भोजन नहीं करते हैं. मान्यता है कि ग्रहण के दुष्प्रभाव के कारण भोजन दूषित हो जाता है. ऐसे में यदि भूख लगे तो फल को अच्छे से साफ करके खा सकते हैं.
  3. सूर्य ग्रहण के समय में गर्भवती महिलाओं का सोना वर्जित है. सोने से परहेज करना चाहिए.
  4. गर्भवती महिलाएं ग्रहण काल में नुकीली वस्तुओं जैसे सुई, कैंची, चाकू आदि का उपयोग न करें. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इससे गर्भ में पल रहे शिशु को शारीरिक समस्या होने का डर रहता है.

गर्भवती महिलाओं के लिए सूर्य ग्रहण का उपाय
सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण प्रारंभ होने से ठीक पहले गर्भवती महिलाएं अपने शरीर के बराबर यानि सिर से लेकर पैर तक की लंबाई का एक धागा ले लें. उसे एक स्थान पर टांग दें. पूरे ग्रहण काल में ऐसे ही रहने दें. ग्रहण के समापन के बाद उस धागे को जल में प्रवाहित कर दें. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि ग्रहण के दौरान यदि कोई दुष्प्रभाव होता है तो उसका असर महिला या उसके शिशु पर नहीं होगा.

ग्रहण के बाद करें ये काम
ग्रहण के समापन के बाद स्नान करें. फिर पूजा स्थान की साफ सफाई करें. भगवान के वस्त्र और फूल आदि बदल दें. उसके बाद विधिपूर्वक पूजन करें और भोग लगाएं.

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