हे आज के गुरुजनों शिक्षा को मत बेचो, बच्चो का बचपन ना छीनो
रणघोष खास. प्रदीप हरीश नारायण
शिक्षण संस्थान चलाने वाले गुरुजन ..संचालकों अब बहुत हो चुका।
अब तो शिक्षा देने के नाम पर उसे बेचना बंद करो। पिछले दो दिनों से अखिल भारतीय सैनिक स्कूल प्रवेश लिखित परीक्षा के आए परिणाम को जिस तौर तरीकों से से आप पेश कर रहे हैं। वह देश के बेहतर भविष्य के साथ सरासर धोखा और छलावा है। ऐसा क्यों कर रहे हैं। वह इसलिए की ज्यादा से ज्यादा बच्चों का दाखिला आपके संस्थान में हो जाए। इससे आपको क्या मिल जाएगा। फीस के नाम पर बेहिसाब पैसा आ जाएगा..। इन पैसो से आप एक ओर नया स्कूल खोलेंगे या अपने संस्थान को ब्यूटी पार्लर की तरह बेहद सुदंर दिखाएंगे…।ताकि उससे प्रभावित होकर माता-पिता अपने बच्चो को बेहतर भविष्य के नाम पर आपको सौंप दे।फिर उसके बाद..सोचिए..। एक समय बाद आप बुजुर्ग हो जाएंगे। आपके संस्थान को आपकी संतानें विरासत के तौर पर संभालेगी। उस अवस्था में एक साथ कई सवाल आपका पीछा नहीं छोडेगे, आपको सोने नहीं देगे। रोज आइना आपके चेहरे को शर्मिंदा कराएगा। की कैसे शिक्षा के नाम पर आपने ना जाने कितने ऐसे बच्चों की भावनाओं, संवेदनाओं के साथ खिलवाड किया जिनका कसूर सिर्फ इतना था की उन्होंने आपको गुरु मानकर कहीं गई बातों को अपने जीवन में आत्मसात कर लिया ।
जबकि वह उस समय एक तरह से शिक्षा के बाजार में बच्चो को प्रोडेक्ट बनाकर बेचे जाने वाला ऐसा छल था जिस पर आपने सच की पॉलिश की हुई थी। यह सब लिखना और बताना अब बहुत जरूरी हो गया है। नहीं तो शिक्षा के बाजार में छलनी हो रहे बच्चे हमसे पूछेंगे की आपने भी विज्ञापन के खेल में हमें अपने हिसाब से बेच दिया।
आइए सैनिक स्कूल परीक्षा के बारे में जान ले
हर साल अखिल भारतीय सैनिक स्कूल में कक्षा छठी व नौंवी में प्रवेश के लिए लिखि परीक्षा का आयोजन होता है। इस परीक्षा को क्वालीफाई करने के लिए 40 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य है। यानि कक्षा छठी का प्रश्न पत्र तीन सौ नंबर का है तो विद्यार्थी को एक सौ बीस नंबर व कक्षा नौवीं वीं में चार सौ नंबर के प्रश्न पत्र में एक सौ साठ नंबर प्राप्त करना जरूरी है। आमतौर पर इस परीक्षा में बैठने वाले अधिकतर विद्यार्थी अपनी बेसिक तैयारी के साथ चालीस प्रतिशत अंक प्राप्त कर लेते हैं। देश में पहले से संचालित 33 व नए मंजूरी वाले 19 सैनिक स्कूल है। प्रत्येक स्कूल में दोनों कक्षाओं में अस्सी से सौ सीटें निर्धारित होती है जो समय के अनुसार कम ज्यादा होती रहती है। प्रति साल डेढ़ लाख से ज्यादा विद्यार्थी इस परीक्षा में भाग लेते हैं। 40 प्रतिशत क्वालीफाई अंक प्राप्त करने के बाद विद्यार्थी अपना रजिस्ट्रेशन कराता है कि वह किस स्कूल में दाखिल लेना चाहता है। उसके बाद स्कूल में निर्धारित सीटों के आधार पर मैरिट सूची बनती है जिसमें आमतौर पर अस्सी प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों का ही नंबर आ पाता है। यानि जिस विद्यार्थी ने तीन सौ में से एक सौ पच्चास नंबर हासिल किए है तो उसकी रैकिंग सत्तर हजार के आस पास आएगी।
मैरिट सूची में भी नाम आने के बाद भी चयन होना आसान नहीं है। उसके बाद विद्यार्थियों का मेडिकल होता है जो बेहद महत्वपूर्ण होता है। इसमें किसी तरह की कोई छूट नहीं होती। इस आधार पर सभी को मिलाकर फाइनल मैरिट सूची बनती है। ..
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