मेरी बुआ- फूफाजी ही मेरे माता-पिता है, जिसने जन्म दिया वे तो बचपन में चल बसे

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राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बावल की छात्राएं बता रही हैं


WhatsApp Image 2021-04-05 at 7.55.04 PMरणघोष खास. मंजू जाट की कलम से


मेरा नाम मंजू जाट है। मेरी माता का नाम स्व. रूपा देवी और पिता स्व.सतबीर सिंह है। मै स्कूल में 10 वीं की छात्रा हूं। मेरे माता-पिता मजदूरी करते थे। हम दो भाई बहन है। हम बेहद ही जरूरतमंद परिवार से हैं। जब हम भाई बहन बहुत छोटे थे माता- पिता बीमारी के चलते चल बसे। हमारी बुआ और फूफाजी ने हमे पाला और पढ़ाया लिखाया। वे माता-पिता बनकर हमारी आवश्वकताओं को पूरा करते रहे। दोनो का हमें खुब प्यार मिला। अब वे ही हमारी जिंदगी है। मै अपनी मा को याद कर सिर्फ इतना ही कह सकती हूं। हालात बुरे थे मगर अमीर बनाकर रखती थी, हम गरीब थे ये बस हमारी मां जानती थी। किसी भी मुश्किल का अब किसी को हल नहीं मिलता। शायद अब घर से कोई मां के पैर छुकर नहीं निकलता। पिताजी याद आते हैं तो आंसू के साथ ही यह शब्द निकलते हैँ। कहते है कि जब पिता जिंदा होतो कांटा भी नहीं चुभता, एक पिता ही होता है जो हर बात को समझ सकता है। जब बच्चे छोटे होते हैं तो एक पिता ही है जो खुद दुख- सुख में रहकर अपने बच्चों को सुख देता है।

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