निजी कार से डयूटी जाने वाले टैक्स चोर है तो सांझ ढलते ही दौडे रहे भारी वाहन वाले कौन है ?

आरटीए विभाग की ईमानदारी को सम्मानित करें सरकार, निजी वाहन में बैठे लोगों का खून का रिश्ता नहीं है तो कटेगा चालान। 


रणघोष अपडेट. रेवाड़ी


आरटीए विभाग इन दिनों पूरी ईमानदारी से समर्पित भाव से अपनी डयूटी निभाकर एक शानदार मिशाल पेश कर रहा है। यह उन वाहनों पर शिकंजा कस रहा है जिसमें बैठे स्कूल शिक्षक उसे सवारी ढोने वाले अवैध वाहनों के सरगना नजर आते हैं। यह उन वाहनों को जब्त कर रहा है जिसमें महज दो लोग बैठे हैं और आपस  में भाई है। इन आरटीए अधिकारियों का तर्क है कि यहां से काफी संख्या में ऐसे वाहन है जिसमें बैठे कर्मचारी नूंह या अन्य जिलों में टोली बनाकर डयूटी पर जाते हैं। इससे सरकारी रोडवेज एवं अन्य परमिट वाली वाहनों को भारी राजस्व का नुकसान हेा रहा है। इसे रोकने के लिए बड़े स्तर पर कार्रवाई की जा रही है। कार्रवाई करने वालों में एक अधिकारी ऐसा भी है जिसे कुछ दिन पहले एक निजी स्कूल संचालक ने असरदार नेता का नाम लेकर धमकाया था और उसने उस स्कूल संचालक को बड़े प्यार से पास बैठाकर पानी और चाय तक पिलाई थी। अब सवाल यह उठता है कि अगर आरटीए इस स्तर पर कार्रवाई करने के प्रति गंभीर है तो शाम ढलते ही भारी भरकम ओवर लोडिड वाहन नजर क्यों नहीं आते जो हर रोज सैकड़ों  की संख्या में नेशनल हाइवे व शहर के अंदर बाहर इन्हें नमस्कार करते हुए गुजरते हैं। असल सच यह है कि बुधवार सुबह जिस तरह आरटीए के कर्मचारी एवं अधिकारियों ने शिक्षकों व अन्य कर्मचारी के वाहनों को जब्त कर बदतमीजी की उससे साबित होता है कि ये अपने छिपे बड़े खेल पर पर्दा डालने के लिए इस तरह की कार्रवाई को अंजाम दे रहे हैं। इन्हे बखूबी पता है कि अधिकांश वाहन सरकारी कर्मचारियों के है। और वे उनसे ज्यादा पंगा नहीं ले सकते। गौर करिए शिक्षकों ने जो विडियो बनाई उसमें कुछ चेहरे ऐसे भी थे जो विजिलेंस जांच में दबोचे गए थे और राजनीतिक संरक्षण एवं सेवा पानी के बाद वापस सीट पर लौट आए थे। यहां सबसे बड़ी चुनौती यह है कि आरटीए में भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहरी है कि उसे उखाड़ने के लिए बड़े स्तर के नेटवर्क से लड़ना पड़ता है जिसमें बड़े बड़े अधिकारियों से लेकर सत्ता में बैठे प्रभावशाली नेता तक शामिल है। आरटीए में कोई अधिकारी सिस्टम को बदल नहीं सकता बल्कि खुद ही बदल जाता है। हालांकि सरकार ने भ्रष्टाचार की दलदल  बने इस विभाग को साफ सुधरा करने के लिए अनेक तरह के प्रयोग भी किए लेकिन अभी तक बेहतर परिणाम नहीं आए हैं।

बुधवार को सरकारी शिक्षकों ने आरटीए की तरफ से की गई कार्रवाई की जो विडियो बनाई उससे साफ जाहिर हो रहा है कि ये अधिकारी जितना इनके खिलाफ कार्रवाई करने के प्रति उत्साहित नजर आ रहे हैं उनकी यह मानसिकता शाम ढलते ही बड़े वाहनों को लेकर क्यों गायब हो जाती है। एक शिक्षक अपने वाहन से अपने मित्र या अन्य साथियों के साथ जा रहा है तो उसमें जबरदस्ती राजस्व नुकसान वाला मामला कहां से आ जाता है। जब कुछ सरकारी कर्मचारियों को एक ही रूट एवं एक ही स्थान पर जाना होता है तो उसमें गलत क्या है। अगर आरटीए के पास ऐसा कोई सबूत है कि ये शिक्षक सुबह बस स्टैंड पर खड़े होकर सवारियां बैठा रहे हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई बनती है। यह तो जबरदस्ती चालान कर अपने सीनियर्स एवं सरकार को बताना है कि वे कितने ईमानदारी से राजस्व चोरी को पकड़ रहे हैं।

शिक्षकों ने डीसी को ज्ञापन भेजकर  कार्रवाई की मांग की

शिक्षक सुदेश कुमार ने बताया कि वह अपने दो शिक्षक मनोज कुमार व रमेश कुमार के साथ नूंह स्थित टपकन सीनियर सेकेंडरी स्कूल में डयूटी पर जा रहे थे। हम तीनों एक ही स्कूल कार्यरत है।  बस स्टैंड पर आरटीओ की टीम ने उनके वाहन को रोक लिया। काफी समझाया तो मारपीट पर उतर आए। मौके पर बनी विडियो से साफ जाहिर हो रहा है। रमेश कुमार को पकड़कर वर्कशाप रोडवेज में बंधक बनाकर  बस स्टैंड पुलिस चौकी ले जाया गया। ऐसा व्यवहार किया गया जैसा कोई आंतकवादी पकड़ लिया हो। शर्ट फाड़ दी। इसी तरह एक शिक्षक राजपाल अपनी गाड़ी में अपने भाई को लेकर जा रहे थे। उसे भी रोक लिया और उनका भी चालान कर दिया। इस तरह के कुल मिलाकर 33 वाहनों को  चालान किया जिसमें महिला शिक्षकाएं भी थी।

इस बार चालान भर दो अगली बार शिक्षकों का चालान नहीं करेंगे

जब शिक्षक आरटीए विभाग पहुंचे तो उन्हें जवाब मिला कि इस बार तो चालान भर दो अगली बार शिक्षकों का चालान नहीं करेंगे।

डीसी भी आरटीए की कार्रवाई से असंतुष्ट नजर आए

शिक्षक जब डीसी अशोक कुमार गर्ग से मिले तो वे भी आरटीए की कार्रवाई से असंतुष्ट नजर आए। यह कॉमन सेंस है कि जब एक ही स्थान पर सभी जा रहे हैं तो मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लघंन कहां हो गया। इसका मतलब सभी के अलग अलग वाहन होने जरूरी हैं। अगर ऐसा हैं तो पर्यावरण बचाने को लेकर इस तरह  की पॉलिसी क्यों बनाई जा रही है।

  जिसका खून का रिश्ता है वहीं ही वाहन में जा सकता है

मोटर व्हीकल अधिकारी द्वारका प्रसाद का बयान सुनिए। उनका कहना है कि वाहनों में केवल परिवार के सदस्य जिसका आपस में खून का रिश्ता हो वहीं जा सकता है। यानि कोई दोस्त बस स्टैंड पर खड़ा है तो उसे  लेकर नहीं आ सकते।

चालान कटने पर स्कूल नही पहुंच पाए शिक्षक, विद्यार्थियों को नुकसान


जिन 33 निजी वाहनों का चालान किया उसमें उसमें अधिकांश शिक्षक थे। चालान कटने की कार्रवाई के चलते ये शिक्षक स्कूल नहीं पहुंच पाए जिसके कारण सैकड़ों विद्यार्थियों की पढ़ाई पूरी तरह से बाधित रही। ऐसा रूटीन में हो रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि आरटीआए की यह कार्रवाई आखिर क्या साबित करना चाहती है। शिक्षकों का कहना है कि रेवाड़ी बस स्टैंड से नूंह मेवात के क्षेत्रों में जाने वाली बसों की सर्विस ना के बराबर है। ऐसे में वे कैसे समय पर डयूटी पर पहुंचे।

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