आरसीसीआई के होली मिलन समारोह में लगा गुटबाजी का रंग
समारोह आयोजन को लेकर दो धड़ों में बंटे पदाधिकारी- सदस्य। आरोप समारोह को राजनीति अखाड़ा बनाया, प्रधान ने कहा चुनाव में हार की टीस निकल रही है
रणघोष अपडेट. रेवाड़ी
रेवाड़ी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (आरसीसीआई ) के 2 मार्च को आयोजित हुए होली मिलन समारोह पर गुटबाजी का रंग असर दिखाने लगा है। इस आयोजन को करने वाली आरसीसीआई की मौजूदा प्रबंधन टीम पर संस्था के पूर्व पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने कई तरह के गंभीर आरोप लगाते हुए इस आयोजन को आरसीसीआई की गरिमा के खिलाफ बताया है। इन आरोपों को वर्तमान प्रधान विजय शर्मा ने चुनाव में मिली हार की बौखलाहट बताते हुए कहा कि संस्था के इतिहास में यह अभी तक का शानदार आयोजन है।
इस आयोजन के तौर तरीकों पर इसलिए हुआ हमला
इस संस्था के पूर्व प्रधान सत्यनारायण शर्मा, पूर्व अध्यक्ष अमित स्वामी, पूर्व महासचिव अनुराधा, पूर्व संयुक्त सचिव सतीश यादव, पूर्व कार्यकारिणी सदस्य नेहा शर्मा, पूर्व महासचिव विनोद जोशी, आरसीसीआई के सदस्य संजीव शर्मा, मनोज शर्मा, संजीव कुमार यादव, राजेश यादव, गोबिंद झा, मनोज सिंह, विनेश शर्मा, मनीष गुप्ता, रविंद्र यादव ने अपने वाटसअप ग्रुप के प्लेटफार्म पर एक सुर में कहा कि आरसीसीआई के प्रधान द्वारा संस्था के एजेंडे में सिर्फ होली मिलन समारोह का आयोजन था। जो कि होली मिलन समारोह न हो कर आरसीसीआई के प्रधान के द्वारा इसे सरकारी अधिकारियों के सामने एक राजनीतिक प्लेटफॉर्म बना दिया गया है जो कि सरासर गलत है और निंदनीय है। इस समारोह में ये देखा गया कि आरसीसीआई के करीब 35 से 40 ही सदस्य उपस्थित थे और नॉन आरसीसीआई के सदस्यों की संख्या इस से कही ज्यादा थी। इस समारोह में आरसीसीआई के प्रधान द्वारा अपने निजी रसूकदारों को भी बुलाया गया। आरसीसीआई के प्रधान विजय शर्मा द्वारा केवल बड़ी औद्योगिक इकाइयों को ही प्राथमिकता दी गई और छोटी व माध्यमिक औद्योगिक इकाइयों को भविष्य में आरसीसीआई में सदस्यता न देने की बात कही गई। इस से छोटी एवं मध्यम इकाइयों के सदस्यों में रोष उत्पन्न हुआ जिससे आरसीसीआई की गरिमा को बड़ी ठेस पहुंची है। प्रधान से अपील है कि कि इस तरह के अनुचित शब्दों का प्रयोग न करें। आरसीसीआई पदाधिकारियों द्वारा कुछ लोगो से उपस्थिति दर्ज़ दस्तावेज के अलावा भी लोगो से कुछ और हस्ताक्षर भी करवाए गए, जिनके बारे में हस्ताक्षरकर्ताओं को भी पूरा ज्ञान नही है। इस प्रकार के हस्ताक्षर करवाना आरसीसीआई के सदस्यों के साथ धोखाधड़ी है व न्याय संगत भी नहीं है। आरसीसीआई के प्रधान विजय शर्मा द्वारा सरकारी अधिकारियों की उपस्थिति में यह बयान दिया कि कंपनी के अधिकारी बहुत कम संख्या में सीएसआर की मीटिंग में उपस्थित हुए जो कि इस तरह के बयान से कंपनियों के मान सम्मान में हानि हुई है और संस्था की छवि भी दागदार हुई। सदस्यों ने कहा कि प्रधान आरसीसीआई की गरिमा को बनाए रखे एवं अपनी स्वार्थ व राजनीति को चमकाने के लिए इस तरह के अनुचित शब्दों का प्रयोग कतई नहीं करें। संस्था के सदस्यों द्वारा किए गए हस्ताक्षरो को तुरन्त निरस्त किया जाना चाहिए। आरसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि संस्था के संविधान की गरिमा से छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। इसे राजनीति अखाड़ा नहीं बनाए। उद्योग को छोटे बड़े भेदभाव की नजर से नहीं देखे। आरसीसीआई उद्योगों की समस्याओं के समाधान के लिए हैं। अधिकारियों के सामने यह कहना कि सीएसआर के लिए महज चंद उद्योग के पदाधिकारी पहुंचे यह आरसीसीआई की गरिमा के खिलाफ है। आरसीसीआई की मीटिंग में उन्हें ही बुलाया जाता है जो उनके सदस्य होते हैं। पहले से चलती आ रही इस परिपाटी को धूमिल ना करें।
प्रधान का पलटवार, हार की बौखलाहट के अलावा कुछ नहीं
आरसीसीआई के प्रधान विजय शर्मा ने अपने ऊपर लगे आरोपों को चुनाव में हुई हार की बौखलाहट बताया है। प्रधान ने कहा कि समारोह में लगभग 100 से ज्यादा सदस्य मौजूद थे। किसी भी राजनीति का कोई नेता मौजूद नहीं था। यह सामाजिक सरोकार से जुड़ी संस्था है इसमें प्रशासन के अधिकारियों से हमारा संपर्क एवं संबंध रहता है। उन्होंने कहा कि आरोप लगाने वाले व पुरानी कार्यकारिणी ने आरसीसीआई के संविधान को नहीं पढ़ा। बिना प्रस्ताव पारित किए सदस्यता 5 हजार से बढ़ाकर 10 हजार कर दी। वे एक साल की कार्यकारिणी की जगह साढ़े पांच साल रहे जो संविधान का सीधा उल्ल्घंन था। हमारे से पहले पदाधिकारियों ने स्पांसरशिप के नाम पर नगद राशि ली, उसका कोई हिसाब नहीं रखा। गबन किया। मेरा पहला संबोधन था, इसलिए सम्मानित सदस्यों को सूचित करके बताया कि आरसीसीआई का संविधान में बिंदुवार संशोधन करना है उसे स्टेज पर बताया, उस पर सहमति मिली, उस पर हस्ताक्षर किए। विपक्ष का काम विरोध करना है, करते रहेंगे। वे माहौल बिगाड़ने का प्रयास करेंगे लेकिन कामयाब नहीं हो पाएंगे। उन्होंने कहा कि पुरानी कार्यकारिणी ने ना अभी तक पूरा हिसाब दिया, ना ही पूरा 10 साल साल का कार्रवाई रजिस्टर नहीं दिया। जानबूझकर नहीं दिया जा रहा। संस्था के पूर्व प्रधान सत्यनारायण शर्मा ने 28 फरवरी 2023 तक लिखित में यह आश्वासन दिया था कि कार्रवाई रजिस्टर दिया गया था वह नहीं दिया। इसका मुख्य कारण है कि रजिस्ट्रर में नियमों के खिलाफ जो प्रस्ताव पारित किया वह उजागर नहीं हो जाए। हमारा उददेश्य निजी हित नहीं होकर, इंडस्ट्री के लिए प्रशासन का सहयोग लेकर काम करना है। ज्यादा से ज्यादा इंडस्ट्री सभी छोटी एवं बड़ी ईकाइयां शामिल करेंगे। संगठन जितना मजबूत होगा, उतनी प्रभावशाली ढंग से काम कर पाएंगे व इंडस्ट्री के लिए काम कर पाएंगे। जितने भी आरोप है वह निंदनीय है। सभी सदस्यों ने होली मिलन के आयोजन का भरपूर आनंद उठाया। यह आरसीसीआई के इतिहास में अभी तक शानदार आयोजन है।