हरियाणा के अंतिम छोर महेंद्रगढ़ में दलितों ने भरी हुंकार

वोट की चोट से कांग्रेस को संविधान का अपमान करने का बदला लेने लिया संकल्प


दलित सम्मेलनों के जरिये सुदेश कटारिया जगा रहे हैं दलितों में जागरूकता की अलख 


रणघोष अपडेट. महेंद्रगढ़ से

हरियाणा में दलितों के आत्मसम्मान और स्वाभिमान की अलख जगाने के लिए चल रहा दलित सम्मेलन रविवार को चंडीगढ़ के सबसे अंतिम छोर में बसे महेंद्रगढ़ में आयोजित हुआ। इस 8 वें सम्मेलन में नजर आ रही तादाद यह बताने के लिए काफी थी यह समाज लंबे समय बाद उस आजादी को पाने के लिए जागृत हो रहा है जो किसी ना किसी बड़े पारिवारिक घराने, समाज के कुछ ठेकेदारों और देश की आजादी के बाद से  लंबे समय तक सत्ता पर काबिज रही राजनीतिक पार्टी के बिछाए जाल में फंसकर शोषित समाज की मुख्यधारा से कट चुका था। इस जाल को पूरी तरह से काटने के लिए हरियाणा मुख्यमंत्री के चीफ मीडिया को-आर्डिनेटर सुदेश कटारिया दलित सम्मेलन के बहाने समाज की इस अंतिम इकाई के पास पहुंच रहे है। सीधे संवाद कर उनकी पीड़ा, समस्या  का तत्काल समाधान करने और  बदलते समय के साथ आगे आने के लिए उन्हें प्रेरित कर रहे हैं। सम्मेलन में दलित समाज ने वोट की चोट के जरिये कांग्रेस द्वारा संविधान अपमान करने का बदला लेने का संकल्प लिया। सुदेश कटारिया ने कहा कि अब दलितों को वोट बैंक की राजनीति का शिकार नहीं होना है बल्कि अपने हकों की लड़ाई मजबूती से लड़नी है। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में दलितों का मान-सम्मान बढ़ा है। मनोहर लाल ने दलितों की पीड़ा को समझते हुए उन्हें अंतिम पंक्ति से अंत्योदय की ओर बढ़ाया। मनोहर लाल के राज में न केवल दलितों को पारदर्शिता व योग्यता के आधार पर नौकरियां मिली हैं, बल्कि दलितों पर हुड्डा राज में हुए अत्याचारों में भी कमी आई है। अब इस परिपार्टी को मुख्यमंत्री नायब सैनी पूरी तत्परता से आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा दलित विरोधी रही है, जब 1952 में दलितों के रक्षक संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने चुनाव लड़ा तो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें धोखे से हराया। दलित अब कांग्रेस के बहकावे में नहीं आएगा, बल्कि उन पर हो रहे अत्याचारों का हिसाब मांगेगा।

 कांग्रेस को पहले देना चाहिए दलितों पर अत्याचार का जवाब

मुख्यमंत्री के चीफ मीडिया को-आर्डिनेटर ने कांग्रेस द्वारा चलाए जा रहे हरियाणा मांगे हिसाब अभियान पर पलटवार करते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के 10 साल के कार्यकाल में दलितों पर हुए अत्याचार का भी हिसाब देना चाहिए। मिर्चपुर कांड से लेकर मदीना और गोहाना कांड ने न केवल हरियाणा को शर्मसार किया, बल्कि कांग्रेस ने दलितों के प्रति सोच का स्पष्ट प्रमाण भी दिया। कांग्रेस राज में प्लाट आवंटन से लेकर नौकरियों में हेराफेरी सबसे अहम रही। कांग्रेस का इतिहास दलितों के अत्याचारों से सन्ना हुआ है। इसके साथ ही दलितों को पदोन्नति में आरक्षण की मांग को भी नजर अंदाज किया। 

मनोहर लाल ने समझी दलितों की पीड़ा

सुदेश कटारिया ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दलितों की पीड़ा समझते हुए उन्हें आगे बढ़ाने का काम किया। दलित कृष्ण लाल पंवार को राज्यसभा में भेजने के साथ, उन्होंने अपना खुद का उदाहरण देते हुए बताया कि मनोहर लाल ने उन जैसे छोटे से कार्यकर्ता को सम्मान को मान-सम्मान दिया। जबकि कांग्रेस में दलितों पर खूब अत्याचार हुए। दलित समुदाय से संबंध रखने वाले अशोक तंवर के साथ सरेआम मारपीट हुई और आखिर में उन्हें पार्टी ही छोड़नी पड़ी। इसके साथ ही कुमारी सैलजा के प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए उन्हें भी अपमान सहना पड़ा। अब कांग्रेस की ओर से कहने को तो दलित प्रधान बनाया हुआ है, लेकिन वह भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कठपुतली है। दलितों को कठपुतली नहीं बनना है बल्कि अपने हक के लिए लड़ाई लड़नी है।

जीवन भर चुनाव नही लड़ने का संकल्प दोहराया

सम्मेलन में सुदेश कटारिया ने कहा की वे राजनीति में दलित समाज को उसका सम्मान—स्वाभिमान और गौरव दिलाने के लिए आए हैं। वे जीवन भर कोई चुनाव नही लड़ेगे लेकिन उनका पूरा जीवन समाज को समर्पित है।