सीधी सपाट बात : 50 साल राज करने वाले सात दिन में दो घंटे चलने वाली झाडू से ही घबरा गए

 —सप्ताह के कुल 168 घंटों में महज दो घंटे चलने वाले इस शानदार अभियान में उतना ही समय लगता है जितना चिरंजीव राव को गुरुग्राम से रेवाड़ी में आने में लगता है।


रणघोष खास. एक नागरिक की कलम से

हरियाणा की रेवाड़ी सीट पर 2014- 2019 के कार्यकाल को छोड़ दिया जाए तो लगातार 35 सालों तक राज करते आ रहे पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव व उनके बेटे पूर्व विधायक चिरंजीव राव के लिए सप्ताह में महज दो घंटे चलने वाला आई लव रेवाड़ी सफाई अभियान आई हेट (नफरत करना) क्यों लग रहा है।

 गुरुवार को अपने आवास पर कार्यकर्ताओं की मीटिंग में पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव व पूर्व विधायक चिरंजीव राव ने सफाई अभियान अपने अंदाज में मजाक उड़ाया। चिंरजीव राव ने कहा की विधायक लक्ष्मण यादव अपने हाथ में झाडू लेकर फोटो सेशन करवाने में व्यस्त रहते हैं। इस युवा को नेता बोलने से पहले यह जानकारी ले लेनी चाहिए थी की  सप्ताह के कुल 168 घंटों में महज दो घंटे यह अभियान चलता है। यानि इस अभियान में उतना ही समय लगता है जितना चिरंजीव राव को कभी कभार  गुरुग्राम से रेवाड़ी में आने में लगता है। उसी से इन्हें प्रॉब्लम हो रही है तो सोचिए अगर यह अभियान प्रतिदिन चलता तो शायद रात की नींद भी उड़ जाती। चिरंजीव राव को इस अभियान पर कटाक्ष करने से पहले देश के सबसे सुंदर शहर इंदौर का भ्रमण करके आना चाहिए था। जहा पक्ष- विपक्ष, राजनीति, अफसरशाही ओर शहर का प्रत्येक नागरिक सफाई को लेकर पूरी तरह से एकजुट है। सभी ने निजी स्वार्थ और मतलब की राजनीति से ऊपर उठकर अपनी जिम्मेदारी- जवाबदेही को तय किया हुआ है। अब तो इंदौर एक कदम आगे बढ़ते हुए भिखारी मुक्त होने जा रहा है। यानि भीख देने वाले ओर लेने वाले के खिलाफ एक्शन हो रहा है। इंदौर के नागरिकों ने सबसे पहले अपनी मानसिकता को बदलना शुरू किया। उन्होंने एक दूसरे पर आरोप, प्रत्यारोप, लांछन लगाने की बजाय खुद में सफाई रखने का उदाहरण पेश किया। गली मोहल्लों में सुबह शाम अभियान चलाया गया। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर सांसद, विधायक, महापौर, तमाम अधिकारी एक आवाज,  एक सोच के साथ नजर आए।  चिंरजीव राव यह भूल गए की यह अभियान विधायक लक्ष्मण यादव का नही शहर में रहने वाले उन सभी नागरिकों का है जिनकी नजर में रेवाड़ी जमीन का टुकड़ा नही उनकी जन्मभूमि, कर्मभूमि है। जिसे साफ सुथरा रखना अकेले नगर परिषद की नही सभी नागरिकों की जिम्मेदारी में आता है। व्यवसायिक प्रतिष्ठानों व घरों से निकलने वाले कूड़े को नागरिक इधर उधर डालने की बजाय डस्टबीन में डाले। रेहड़ी वाले गंदगी नही फैलाए। जहा नगर परिषद की तरफ से लापरवाही की जा रही है उसे अभियान में सांझा किया जाता है ताकि मौके पर ही अधिकारी और कर्मचारियों को यह अहसास करा दिया जाए  की शहर अब जाग उठा है। पिछले दो महीनों में 15 स्थानों पर यह अभियान चल चुका है। अभियान को लेकर इतना जबरदस्त उत्साह है की जून 2025 तक लोगों ने बुकिंग करा दी है की यह कहां कहां चलेगा। अब सोचिए जब जनता अभियान को महोत्सव में बदलने के लिए बैंड बाजे, सफाई योद्धाओं के सम्मान ओर शानदार जलपान को लेकर सुबह सात बजे निर्धारित जगह पर पूरे जोश के साथ नजर आ रही है तो इसमें विधायक लक्ष्मण यादव का फोटो सेशन कहां से आ गया। चिरंजीव राव का यह कहना की  विधायक का काम झाडू लेकर घूमना नही बल्कि ये देखना है कि कहां पर झाडू नही लगाई जा रही और काम क्यों नही हो रहे। यह युवा नेता भूल गए की इस शहर पर सबसे ज्यादा राज उनके परिवार ने किया है। जिसमें छह बार उनके पिता कप्तान अजय सिंह यादव विधायक रहे, तीन बार उनके दादा ओर एक बार वे स्वयं जनप्रतिनिधि रह चुके हैं। लक्ष्मण यादव को विधायक बने महज चार महीने ही हुए हैं।  अभियान का मूल भाव नही समझने की वजह से चिरंजीव राव भूल गए जब यह अभियान चलता है तो उस समय संबंधित वार्ड, क्षेत्र के नागरिक, सफाई कर्मचारी, अधिकारी ओर कर्मचारी भी मौजूद रहते हैं। सफाई मसले पर कोई चौधरी, छोटा बड़ा या व्यक्ति विशेष नही होता। सफाई सभी की जिम्मेदारी में आता है। यही वजह है की संपन्न घरों से लेकर रिटायर अधिकारी, कर्मचारी, सामाजिक, धार्मिक संगठनों के जागरूक लोग अभियान में सफाई कर्मचारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग करते हैं। साथ बैठकर जलपान करते हैं, उनका सम्मान किया जाता है ताकि वे समाज में खुद को सम्मानित महसूस करें। ऐसा करने से पीछे इन सफाई योद्धाओ को यह महसूस कराना है की वे अपनी डयूटी को पूरी ईमानदारी से करें लोग उनका सहयोग करने के लिए हर समय तैयार है। विपक्ष होने के नाते सत्ता पक्ष की खामियों पर सवाल करना समझ में आता है लेकिन सात दिन में महज दो घंटे चलने वाले अभियान का ही मजाक उड़ाना यह सवाल खड़े करता है की असली गंदगी राजनीति में है या सड़कों पर..। यह सफाई को लेकर जाग रही रेवाड़ी की जनता को तय करना है।