मम्मी- पापा ज्यादा नहीं पढ़ पाए, उन्हें इतना जरूर पता है बेटी कभी बोझ नहीं होती

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राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बावल की छात्राएं बता रही हैं


WhatsApp Image 2021-04-06 at 3.31.39 PM रणघोष खास. प्रियंका की कलम से


 मेरा नाम प्रियंका है। पिता का नाम मनोज कुमार एवं मम्मी का नाम रेखा देवी है। मै स्कूल में 10 वीं की छात्रा हूं। आज की बात करू तो पिताजी मजदूरी कर हमारी परवरिश कर रहे हैं और मम्मी घर की पूरी जिम्मेदारी निभा रही है। दोनों की पारिवारिक स्थिति अच्छी नहीं थी। इसलिए पापा 8 वीं तो मम्मी 5 वीं तक ही स्कूल में पढ़ पाईं। हम तीन भाई बहन है। जब से हमने होश संभाला है। पापा- मम्मी का खुब प्यार मिला। कभी अहसास ही नहीं होने दिया कि लड़का-  लड़की  में भी कोई भेदभाव होता है। पापा तो भाई से ज्यादा हमें लाड करते हैं। हमें इतना जरूर पता है कि वे सुबह मजदूरी को निकल जाते हैं और शाम को आते हैं। अपने शरीर की थकान को उसने कभी महसूस नहीं होने दिया। यही मम्मी की स्थिति थी। दोनो का यही प्रयास रहता था कि उनके बच्चे खुब पढ़े इसलिए वे हमें घर के काम को लेकर भी कभी दबाव नहीं बनाते। जब हमने माता-पिता के संघर्ष की कहानी पर उनके जीवन के बारे में पहली बार जानने का प्रयास किया तो हमारी आंखों से वो आंसू निकल पड़े जो किसी ना किसी वजह से छिपे हुए थे। दोनों को नहीं पता कि बचपन में चपलता, शरारतें, हंसी ठिठोली क्या होती है। उन्हें बस जिम्मेदारी मिली। उसी में वे अपना बचपन तलाशते हुए कब बड़े हो गए। वे भी पढ़ना चाहते थे लेकिन पारिवारिक परस्थितियों ने उन्हें जकड़े रखा। वे हमारे अंदर अपनी उम्मीद लेकर चल रहे हैं। मै सलाम करती हूं अपने गुरुजनों को जिन्होंने समय रहते हमारी असली राह दिखा दी। यह लेख नहीं हमारी जिंदगी का सबसे बड़ा बदलाव है।

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